गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016

अपने ही शस्त्रों से आहत

जननीजन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

अपने  ही  शस्त्रों  से  आहत, रुधिर-विरूपित वेष.
विवश हुआ पश्चिम भी, अब दे रहा शान्ति-उपदेश.
जब  तक  था आतंकित  पूरब, तब तक थे निश्चिन्त.
अब यूरोप  और  अमरीका भी हैं परम सचिन्त.

जिन  देशों  के  हथियारों  से  भरा विश्व - बाज़ार .
अचरज,वे ही आज कर रहे व्याकुल शांति-प्रचार.
आज  बनी  रणभूमि  हमारी धरा धन्य रमणीय.
नहीं मार्ग अब शेष,  युद्ध लघु ही अब है वरणीय.

युद्ध आज आवश्यक है अपने ही कुविचारों से .
बच  सकते  हो  बचो  चित्त  में फैले  अंगारों से .
धधकेगी युद्धाग्नि निकट,फिर होगा कौन तटस्थ.
पूर्व  और  पश्चिम  दोनों  होंगे आहत , अस्वस्थ .
-- अरविन्द पांडेय

फ़्रांस में हुए आतंकावादी हमले का सन्दर्भ