बुधवार, 3 अगस्त 2011

धन्य राम चरित्र का यह प्रबल पूत प्रताप..


श्री मैथिलीशरण गुप्त.
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3 अगस्त :

धन्य राम चरित्र का यह प्रबल पूत प्रताप.
कवि बने अल्पग्य कोई आप से ही आप.


कक्षा ८ में अध्ययन के समय ही मैंने श्री मैथिलीशरण गुप्त में महाकाव्य '' साकेत '; ''पंचवटी'' चिरगांव, झांसी से मंगाया था.साकेत के प्रथम पृष्ठ पर एक प्रसिद्द छंद अंकित था-

राम तुम्हारा वृत्त स्वयं ही काव्य है.
कोई कवि बन जाय सहज संभाव्य है.

उसी छंद के नीचे ही मैंने अपनी उपर्युक्त दो पंक्तियाँ अंकित कर दी थीं.मेरे पास उपलब्ध साकेत की प्रति आज मेरे सामने है और आज पुनः वह छंद मेरे समक्ष समुज्ज्वल है


अरविंद पाण्डेय